एक पुराने छात्रावास के गलियारे जब बीते दिनों की यादों से गूंजते हैं, तो उसमें छात्र जीवन की खुशबू ताजा हो जाती है। ऐसी ही अनमोल ...
अध्यक्ष शैलेंद्र प्रताप सिंह ने छात्र जीवन की रचनात्मक सामूहिकता और उसकी सकारात्मक भूमिका पर जोर देते हुए बताया कि एसोसियेशन पिछले तीन वर्षों से हॉस्टल के कर्मचारियों के 19 बच्चों की शिक्षा का संपूर्ण व्यय उठा रहा है, जो इस हॉस्टल की मूल भावना की सच्ची अभिव्यक्ति है। इसी भावना को जीवंत बनाए रखने के लिए आयोजन में शामिल हुए मुख्य अतिथि, प्रसिद्ध साहित्यकार भगवती चरण वर्मा के पौत्र चंद्रशेखर वर्मा ने भी हॉलैंड हॉल को साहित्यकारों की सृजन-भूमि बताते हुए उसकी विरासत की तारीफ की।
इस संगम में पूर्व मंत्री अरुण कुमार सिंह मुन्ना, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव नृप सिंह नपलच्याल, पूर्व मंडलायुक्त आर पी शुक्ला, पूर्व आईएएस मधुकर द्विवेदी, और कई प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों ने अपने विचार साझा किए। साथ ही एसोसियेशन की नई कार्यकारिणी का गठन भी किया गया, जिसमें शैलेंद्र प्रताप सिंह को अध्यक्ष और बुद्धि सागर दुबे को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।
कार्यक्रम में 'स्मृतियों के वातायन से' नामक एक पुस्तक और 'आहट' नामक पत्रिका का विमोचन भी किया गया, जो हॉलैंड हॉल के गौरवशाली इतिहास और उसके छात्रों की कहानियों को संजोए हुए हैं।
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